बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवादसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
अथवा
कांग्रेस के लखनऊ समझौते के विषय में बताते हुए इसके नकारात्मक व सकारात्मक पहलू पर चर्चा कीजिए।
उत्तर -
लखनऊ समझौता
भारतीय जनता में उभरे व्यापक आर्थिक और राजनैतिक असंतोष और राष्ट्रवादी भावना तथा राष्ट्रीय एकता की आकांक्षा के कारण 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में राष्ट्रीय महत्व की दो घटनाएँ घटीं-
1. कांग्रेस के नरमपंथी और गरमपंथी अपने मतभेद भुलाकर एक हो गये,
2. कांग्रेस और मुस्लिम लीग में लखनऊ समझौता हुआ और दोनों ने एक होकर संघर्ष का निश्चय किया।
इस अधिवेशन की अध्यक्षता उदारवादी नेता अंबिका चरण मजुमदार ने की। इस अधिवेशन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी गरमदल (अतिवादियों) का कांग्रेस में पुनः प्रवेश। इसके कई कारण थे-
1. पुराने विवाद अब अप्रासंगिक या अर्थहीन हो गये थे।
2. उदारवादियों तथा अतिवादियों, दोनों ने यह महसूस किया कि विभाजन से राष्ट्रीय आंदोलन की राजनीतिक प्रक्रिया अवरुद्ध हो रही है।
3. ऐनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक ने दोनों दलों में एकता के अथक एवं सराहनीय प्रयास किये थे। उदारवादियों की भावनाओं को सम्मान देते हुए तिलक ने घोषित किया कि वे भारत में प्रशासनिक सुधारों के पक्षधर हैं न कि पूरी ब्रिटिश सरकार को हटाये जाने के। उन्होंने हिंसात्मक तरीकों को न अपनाये जाने की भी वकालत की।
4. दो प्रमुख उदारवादी नेताओं, गोपाल कृष्ण गोखले तथा फिरोजशाह मेहता की मृत्यु हो जाने से कांग्रेस के दोनों दलों में एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ क्योंकि ये दोनों ही नेता उग्रवादियों के कट्टर विरोधी थे तथा किसी भी हालत में उग्रवादियों से एकता नहीं चाहते थे।
कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि थी कांग्रेस एवं लीग के मध्य समझौता। इस अधिवेशन में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग एक-दूसरे के समीप आ गये तथा दोनों ने सरकार के समक्ष अपनी समान मांगें प्रस्तुत की। कांग्रेस एवं लीग के मध्य यह समझौता और भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इस समय युवा क्रांतिकारी आतंकवादियों में मुस्लिम लीग की अच्छी पकड़ थी। फलतः लीग के कांग्रेस के समीप आने से कांग्रेस के साम्राज्यवाद विरोधी अभियान को और गति मिल गयी। मुस्लिम लीग के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समीप आने के कई कारण थे-
1. 1912-13 के बाल्कान युद्ध में ब्रिटेन ने तुर्की की सहायता से इंकार कर दिया। इस युद्ध के कारण यूरोप में तुर्की की शक्ति क्षीण हो गयी तथा उसका सीमा क्षेत्र संकुचित हो गया। उस समय तुर्की के शासक का दावा था कि वह सभी मुसलमानों का 'खलीफा' या 'प्रधान' है। भारतीय मुसलमानों की सहानुभूति तुर्की के साथ थी। ब्रिटेन द्वारा युद्ध में तुर्की को सहयोग न दिये जाने से भारतीय मुसलमान रुष्ट हो गये। फलतः मुस्लिम लीग ने कांग्रेस से सहयोग करने का निश्चय किया, जो ब्रिटेन के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलन चला रही थी।
2. बंगाल विभाजन को रद्द किये जाने के सरकारी निर्णय से उन मुसलमानों को घोर निराशा हुयी जिन्होंने 1905 में इस विभाजन का जोरदार समर्थन किया था।
3. ब्रिटिश सरकार द्वारा अलीगढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना एवं उसे सरकारी सहायता दिये जाने से इन्कार करने पर शिक्षित मुसलमान रुष्ट हो गये।
4. मुस्लिम लीग के तरुण समर्थक धीरे-धीरे सशक्त राष्ट्रवादी राजनीति की ओर उन्मुख, हो रहे थे तथा उन्होंने अलीगढ़ स्कूल के सिद्धान्तों को उभारने का प्रयत्न किया। 1912 में लीग का अधिवेशन कलकत्ता में हुआ। इस अधिवेशन में मुस्लिम लीग ने निश्चय किया कि वह भारत के अनुकूल 'स्वशासन' की स्थापना में किसी अन्य दल को सहयोग कर सकता है बशर्ते यह भारतीय मुसलमान के हितों पर कुठाराघात न करे तथा उनके हित सुरक्षित बने रह सकें।
इस प्रकार कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों की 'स्वशासन की अवधारणा' समान हो गयी तथा इससे उन्हें पास आने में सहायता मिली।
इन सभी कारणों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग में एकीकरण को संभव बना दिया। कांग्रेस एवं लीग में इस समझौते को लखनऊ समझौते के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के मुख्य प्रावधान निम्न प्रकार थे-
1. कांग्रेस द्वारा उत्तरदायी शासन की मांग को लीग ने स्वीकार कर लिया।
2. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन व्यवस्था की मांग को स्वीकार कर लिया।
3. प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में निर्वाचित भारतीय सदस्यों की संख्या का एक निश्चित भाग मुसलमानों के लिए आरक्षित कर दिया गया।
4. केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा में कुल निर्वाचित भारतीय सदस्यों का 1/9 भाग मुसलमानों के लिए आरक्षित किया गया तथा इनके निर्वाचन हेतु साम्प्रदायिक चुनाव व्यवस्था स्वीकार की गयी।
5. यह निश्चित किया गया कि यदि किसी सभा में कोई प्रस्ताव किसी सम्प्रदाय के हितों के विरुद्ध हो तथा "सदस्य उस आधार पर उसका विरोध करें तो उसे पास नहीं किया जायेगा।
एकीकरण के फलस्वरूप जहाँ एक ओर मुस्लिम लीग, कांग्रेस के साथ सरकार को संयुक्त संवैधानिक माँगों का प्रस्ताव पेश करने पर सहमत हो गयी वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन व्यवस्था की माँग को स्वीकार कर लिया। समझौते के पश्चात् कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने सरकार के समक्ष अपनी संयुक्त मांगें पेश कीं, जो इस प्रकार थीं
1. सरकार, भारत को उत्तरदायि[वपूर्ण शासन देने की शीघ्र घोषणा करे।
2. प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में निर्वाचित भारतीयों की संख्या बढ़ायी जाये तथा उन्हें और आर्थिक अधिकार प्रदान किये जायें।
3. वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में आधे से ज्यादा सदस्य भारतीय हों।
लखनऊ समझौते के नकारात्मक पहलू - लखनऊ के ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने एक संयुक्त मंच का गठन तो कर लिया किन्तु इसके प्रावधानों में दूरदर्शिता का पूर्ण अभाव परिलक्षित हुआ। कांग्रेस द्वारा लीग की प्रस्तावित साम्प्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था को स्वीकार कर लिये जाने से एकसमान मंच तथा राजनीति की दो अलग-अलग दिशाओं का युग प्रारम्भ हुआ। यह प्रावधान द्विराष्ट्र - सिद्धान्त की अवधारणा का अंकुर था। इसके अतिरिक्त लखनऊ समझौते में कांग्रेस तथा लीग के नेताओं ने आपस में एकता की व्यवस्था तो कर ली किन्तु हिन्दू तथा मुसलमानों दोनों सम्प्रदाय के लोगों को आपस में लाने के कोई प्रयास नहीं किये गये।
लखनऊ समझौते के सकारात्मक पहलू - साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति के विवादास्पद प्रावधानों को छोड़ दिया जाये तो इस व्यवस्था से यह लाभ हुआ कि अल्पसंख्यकों के मन से बहुसंख्यक हिन्दुओं का भय दूर हो गया। समझौते के पश्चात् मुसलमान यह मानने लगे कि उनके हितों को अब हिन्दुओं से कोई खतरा नहीं रहा। दूसरा, समझौते से भारतीयों में एकता की नयी भावना का विकास हुआ। इससे राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को नयी ताकत मिली। समझौते के पश्चात् स्थापित हुई एकता को सरकार ने भी महसूस किया तथा उसने भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना हेतु प्रयास किये। इसी के फलस्वरूप अगस्त 1917 में 'मांटेग्यू घोषणायें' सार्वजनिक की गयीं।
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- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
- प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
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- प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
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- प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
- प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
- प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
- प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
- प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
- प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।